कल्पना और कलम
- 8 Posts
- 34 Comments
प्रस्तुत कविता मैंने अपने M.Tech के प्रोजेक्ट गाइड प्रोफ़ेसर संजय भट को समर्पित करते हुए २००८ में IIT मुंबई में लिखी थी. इस कविता में प्रोफ़ेसर भट के एक और स्टुडेंट श्री नवीन के नाम का भी प्रोयोग किया है..प्रोफ़ेसर भट को तो मैं नहीं सुना पाया, उम्मीद है आप लोगों को ये पसंद आये..
……………………………………………………………..
मैं श्रद्धालु नदि तीर
तुम ज्ञान की पावन सरिता हो |
मैं श्रोता मन मुग्ध
तुम कवि और उसकी कविता हो ||
मैं आशान्वित सीप
तुम कोई बूँद नक्षत्र स्वाती हो |
मैं नवीन प्रदीप
तुम चिरायु घृत बाती हो ||
मैं फंसा मध्य कुरुक्षेत्र
तुम ज्ञानवीर धनञ्जय हो |
मैं दृष्टिहीन ध्रितराष्ट्र
तुम दिव्यदृष्टि संजय हो ||
2008
‘प्रदीप’
Read Comments